व्हाट्सऐप विवाद में सिग्नल ऐप की कैसे हुई चांदी? गूगल प्ले स्टोर से दनादन हो रहा डाउनलोड सिग्नल

व्हाट्सऐप विवाद में  सिग्नल  ऐप की कैसे हुई चांदी? गूगल प्ले स्टोर से दनादन हो रहा डाउनलोड सिग्नल

नई डेटा प्राइवेसी पॉलिसी के बाद व्हाट्सऐप को दुनियाभर में आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सिग्नल जैसे मैसेजिंग एप्लीकेशन की खूबियां लोगों को ज्यादा ही पसंद आ रही हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, गूगल प्ले स्टोर पर सिग्नल ऐप को एक करोड़ से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं।दरअसल, व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वालों का डेटा फेसबुक की दूसरी कंपनियों के साथ साझा करने की तैयारी चल रही है। नए अपडेट में कहा गया है कि व्हाट्सऐप की सेवाएं जारी रखने के लिए 8 फरवरी, 2021 तक पॉलिसी स्वीकार करें नहीं तो ऐप को इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। यानी बिना व्हाट्सऐप की नई नीति को स्वीकार किए इसका इस्तेमाल संभव नहीं होगा। ऐसे में बड़े पैमाने पर लोग सिग्नल और टेलीग्राम जैसे मैसेजिंग ऐप पर पलायन करने लगे हैं। 

एलन मस्क के ट्वीट से बढ़ी सिग्नल की लोकप्रियता 
टेस्ला के सीईओ और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने ट्वीट कर बताया कि वह व्हाट्सऐप का नहीं बल्कि सिग्नल ऐप का उपयोग करते हैं। इसके बाद से लोग लगातार सिग्नल एप को डाउनलोड कर रहे हैं। यही वजह है कि देखते ही देखते सिग्नल एप ने व्हाट्सऐप को पीछे छोड़ दिया है।

ग्रुप बनाकर कोई भी नहीं जोड़ सकता है 
इसमें व्हाट्सऐप की तरह ग्रुप बनाकर कोई भी नहीं जोड़ सकता है। इसके लिए बकायदा इनवाइट भेजना पड़ता है, जिसे स्वीकार करने के बाद ही व्यक्ति उसका हिस्सा बन पाता है। इसमें व्यक्ति का आईपी एड्रेस सुरक्षित रहता है। साथ ही पिन सेट करने का विकल्प भी होता है ताकि कोई और आपके अकाउंट का इस्तेमाल न कर पाए। 

देरी से आ रहे वेरिफिकेशन कोड 
सिग्‍नल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा है कि पिछले दो दिन से भारी संख्या में यूजर्स के ऐप डाउनलोडिंग के चलते वेरिफिकेशन कोड देरी से आ रहे हैं। सिग्‍नल ने अपने मैसेज प्लेटफार्म से जुड़ने के लिए एक गाइडलाइन भी जारी की है। इसमें यूजर्स को दूसरे मैसेंजर एप से सिग्‍नल पर आने के आसान तरीके बताए गए हैं। कंपनी ने यह भी कहा है कि भारत में उसके यूजर्स की संख्या सबसे अधिक तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, हांगकांग, स्विट्जरलैंड में भी सबसे ज्यादा डाउनलोड किए गए ऐप में यह अव्वल रहा। 

साइबर मामलों के विशेषज्ञ मनोज गैरोला ने कहा कि भारत जैसे देश के लिए ये विवाद बड़ा सबक है कि कैसे विदेशी कंपनियां सोशल मीडिया सेवाएं शुरू करने के बाद लोगों के साथ खिलवाड़ करती हैं। भारत में मजबूत आईटी कानून का न होना इसके पीछे की बड़ी वजह है। अगर अभी भी सरकार इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाती तो लोगों की निजता के साथ दिक्कत बरकरार रहेगी।