मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर शिवराज की याचिका पर सर्वोच्च अदालत में सुनवाई आज

मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर शिवराज की याचिका पर सर्वोच्च अदालत में सुनवाई आज

सर्वोच्च अदालत मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश देने के लिए याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के लिए सोमवार को तैयार हो गई। यह याचिका पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की ओर से दायर की गई थी।

शीर्ष अदालत में सोमवार को संबंधित अधिकारी के समक्ष इस मामले की शीघ्र सुनवाई का उल्लेख किया गया। याचिका में कहा गया है कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव को इस न्यायालय के आदेश के 12 घंटे के भीतर विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया जाए।

अधिवक्ता सौरभ मिश्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार विश्वास खो चुकी है। इन 22 विधायकों में से छह के इस्तीफे अध्यक्ष पहले ही स्वीकार कर चुके हैं और मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गई है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ सरकार को एक दिन भी सत्ता में रहने का कोई कानूनी, नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है।  

विधायकों को धमकाने के आरोप: 
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री अपनी अल्पमत सरकार को बहुमत में तब्दील करने के लिए विधायकों को धमकी देने और प्रलोभन देने के हर संभव प्रयास कर रहे हैं। खरीद-फरोख्त के प्रयास चरम पर हैं।

याचिका में कहा गया है कि शक्ति परीक्षण स्थगित करने से खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा और यह राज्यपाल के निर्देशों और शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित व्यवस्था का उल्लंघन होगा। शिवराज चौहान के अलावा गोपाल भार्गव और नरोत्तम मिश्रा सहित भाजपा के नौ विधायक इस मामले में चार याचिकाकर्ता हैं। इस याचिका में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष और कमलनाथ को पक्षकार बनाया गया है।
 

कांग्रेस की सदस्य संख्या घटकर 108 हुई: 
अध्यक्ष द्वारा छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के बाद 222 सदस्यीय विधान सभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 108 रह गई है। इनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।